नलोवाला के ग्रामीण राज्य गठन से पूर्व से ही करते आए हैं सड़क निर्माण की मांग

ByDhan Singh Bist

Jun 18, 2023

कहीं सड़क को तरस रहे लोग कहीं उखड़ रही बनी बनाई सड़क

: नलोवाला के ग्रामीण राज्य गठन से पूर्व से ही करते आए हैं सड़क निर्माण की मांग

आर वी शर्मा। कहीं सड़क को तरस रहे लोग तो कहीं उखड़ रही बनी बनाई सड़क। न्याय पंचायत लालढांग के गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र नलोवाला में जहां ग्रामीण हाईवे से गांव को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग की राज्य गठन से पूर्व ही मांग करते आए हैं, जबकि कई स्थानों पर अच्छी खासी बनी बनाई सड़क को उखाड़ नई सड़क बना कर राजनीति की नई इबारत खड़ी करने का काम किया जा।

लालढांग क्षेत्र उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का अंतिम चोर हुआ करता था, वही जिला हरिद्वार अस्तित्व में आने के बाद भी वह हरिद्वार जिले का अंतिम छोर है। यही कारण है कि यहां से विकास कोसों दूर था। राजनीति यहां सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगते समय बड़े-बड़े वादे कर क्षेत्र को भूल जाते थे। हरिद्वार ग्रामीण से दो बार के विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीस्वरानंद ने क्षेत्र में विकास के अभूतपूर्व कार्य कराए। क्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली सहित अन्य क्षेत्र में विकास के नए आयाम गढ़े गए। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की जनता ने कांग्रेस से उम्मीदवार अनुपमा रावत को अपना जनप्रतिनिधि चुना। लेकिन गुर्जर बाहुल्य नलोवाला के ग्रामीणों के हाईवे से गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क का निर्माण कोई नहीं करा पाया। ग्रामीणों ने पूर्व विधायक और तत्कालीन कैबिनेट मंत्री को भी सड़क निर्माण की के लिए पत्राचार किया था। लेकिन क्षेत्र में अब राजनीति नये हाशिए पर आ गई है। जहां सड़क की आवश्यकता नहीं थी, वहां अच्छी खासी सड़क को खोद नई सड़क बनाने की तैयारी की जा रही है, वहीं जहां ग्रामीणों को सड़क की सख्त दरकार है वहां सड़क बनाने के लिए वन अधिनियम कानून सहित अन्य कानून हावी हो जाते हैं। ग्रामीण नजाकत अली, खुर्शीद भड़ाना, शमशेर भढ़ाना, यूसुफ, मुमताज अली, शमशाद अली, इमरान भड़ाना, अकरम अली, सुंदर कलुरा भड़ाना ,कश्मीर, नवाबदीन, यामीन, सुंदर कलुडा, अलीशेर, एजाज ने कहा कि जनप्रतिनिधि केवल चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं। चुनाव के समय सड़क बनाने का वादा भी करते हैं लेकिन चुनाव के बाद क्षेत्र की सुध तक नहीं लेते। बताया कि नौरंगाबाद गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क भी वन अधिनियम कानून के तहत आती थी, उसे भी किसी ने किसी भी प्रकार बनाया गया। अगर जनप्रतिनिधि की इच्छा शक्ति होती तो यहां भी सड़क का निर्माण कराया जा सकता था।

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