हरिद्वार के लालढांग में गुरु वार से होगा बालसाहित्य का कुंभ
लालढ़ांग (हरिद्वार )। अल्मोड़ा से प्रकाशित बच्चों की पत्रिका बालप्रहरी तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास लालढ़ांग ,हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान लालढांग में कल 8 जून से बालसाहित्य का कुभ प्रारंभ होगा । जिसमें भारत के 10 राज्यों के लगभग 100 से अधिक बालसाहित्यकार प्रतिभाग करेंगे । हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, हेमवतीनंदन बहुगुणा चिकित्सा शिक्षा विश्व विद्यालय देहरादून के कुलपति डॉ हेम चंद्र पांडे ,बाल वाटिका के संपादक डॉ भैरूंलाल गर्ग(राजस्थान ), सिक्किम के पूर्व शिक्षा महानिदेशक रूद्र पौड़या, भगवती प्रसाद द्विवेदी (पटना ), डॉ राम निवास मानव(नारनौल,हरियाणा ), रघुवीरसिह बोकन(गुरुग्राम),गोविंद शर्मा (संगरिया,राजस्थान ),पुरुषोत्तम तिवारी (भोपाल ),डॉ चेतना उपाध्याय (अजमेर),डॉ हरिसिंह पाल(दिल्ली ),विरंचीनारायण दास(उड़ीसा ),हरदेव सिंह धीमान(शिमला),डॉ राकेश चक्र (मुरादाबाद ),डॉ शशि गोयल(आगरा ),डॉ महावीर रवांल्टा (उत्तरकाशी ),कविता मुकेश (बीकानेर),डॉ शील कौशिक (सिरसा),हीरालाल साहनी (दरभंगा ),आर पी सारस्वत (सहारनपुर )आदि ने सहभागिता की सहमति दी है।
किसान दीवान(छत्तीसगढ़ ),रेखा लोढ़ा (राजस्थान ),संगीता गुप्ता (ग्वालियर ),प्रो प्रभा पंत (हल्द्वानी ), शशि ओझा(भीलवाड़ा )डॉ सरोज गुप्ता (जयपुर),महेंद्र सिंह राणा (पौड़ी ),डॉ अमरेंद्र सिंह(पटना),डॉ खेमकरन(रामनगर),इंदु गुप्ता (फरीदाबाद )स्नेह लता (लखनऊ) आदि लालढांग पहुंच चुके हैं ।
बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास लालढ़ांग के अधीक्षक योगेश्वर सिंह ने संयुक्त विज्ञप्ति जारी कर कहा कि तीन दिवसीय संगोष्ठी में बालसाहित्य और सामाजिक सरोकार ,बाल साहित्य और सामाजिक मूल्य , बच्चे और आँनलाईन गतिविधियां,बाल कविता तथा बाल कहानी सहित बालसाहित्य के विभिन्न पक्षों पर चर्चा होगी। विज्ञप्ति में कहा गया कि संगोष्ठी में देश के प्रख्यात बालसाहित्यकार अपनी कहानी व कविताएं बच्चों को सुनाएंगे । नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय छात्रावास के बच्चे कविता व कहानी पर अपनी टिप्पणी करेंगे । संगोष्ठी के समापन पर देश के 22 बालसाहित्यकारों को बालसाहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा । संगोष्ठी में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन भी होना है। जिसमें कवि व कवयित्रियां बाल कविताओं का पाठ करेंगे ।