चारों धामों की गाथा और प्रकृति की अपार संपदा भरा केंद्र

ByDhan Singh Bist

Jun 8, 2023

        चारों धर्मो की गाथा और प्रकृति की अपार संपदा से भरा है केंद्र

: शुगर, उक्त रक्तचाप सहित कई आयुर्वेदिक दवाइयों का खजाना भरा है प्रकृति अध्ययन केंद्र में

आर वी शर्मा, लालढांग। एक ऐसी नर्सरी जहां चारों धर्मों की गाथा, बड़े-बड़े ऋषि मुनियों की जीवन चरित्र सहित शुगर, उक्त रक्तचाप सहित कई आयुर्वेदिक दवाइयों के खजाने से भरी पड़ी है। लालढांग के बाहर पीली में स्थित प्रकृति अध्ययन केंद्र में ऐसी दुर्लभ जड़ी बूटियां हैं, जिनसे की कई बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज संभव है। लेकिन जानकारी के अभाव में लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। पर्यावरण और प्रकृति पर अनुसंधान करने वालों के लिए यह केंद्र एक मुफीद स्थान है।

नर्सरी में अमूमन विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे उगाए जाते हैं। लेकिन हरिद्वार जिले के लालढांग क्षेत्र के बाहर पीली में स्थित प्रकृति अध्ययन केंद्र में जहां कई दुर्लभ प्रजाति के पेड़ पौधों का संरक्षण किया जा रहा है, वही यहां सभी धर्मों को एक साथ संजोए रखने के लिए चारों धर्मों की गाथा सहित उस जमाने के जुड़े पेड़ पौधों का भी जिक्र किया गया है। नर्सरी में नवग्रह सहित सभी राशियों से जुड़े पेड़ पौधे पौधों का भी संरक्षण किया जा रहा है। पूर्व से ही पर्यावरण संरक्षण और पेड़-पौधों के संवर्धन के लिए काम कर रहे प्रकृति अध्ययन केंद्र के महानिदेशक धनंजय मोहन और कंजरवेटर संजीव चतुर्वेदी के मेहनत के दम पर करीब 3 एकड़ में फैले इस नर्सरी में नक्षत्र वाटिका, नवग्रह वाटिका, रुद्राक्ष वाटिका, कपूर वाटिका, चंदन वाटिका, पारिजात वाटिका, भारत वाटिका, पंचवटी वाटिका, राशि वाटिका सहित धन्वंतरी वाटिका की स्थापना की गई है, जिसमें कि आयुर्वेद का खजाना भरा पड़ा है। वहीं ‘तुलसी’ हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित एक पवित्र पौधा है। आमतौर पर लोग रामा और श्यामा तुलसी के बारे में ही जानकारी रखते हैं, लेकिन यहां करीब 18 प्रजाति की तुलसी की पौध उगाई गई हैं। यहां बौद्ध, ईसाई, रामायण और महाभारत काल के खंडों का भी वर्णन किया गया है।

वन क्षेत्राधिकारी प्रकृति अध्ययन केंद्र कुलदीप पंवार ने बताया कि यहां धार्मिक वन की स्थापना की गई है, जिसमें सभी धर्मों के संदेश और उनसे जुड़े पेड़-पौधों का भी जिक्र किया गया है। इसके साथ ही यहां कासनी, शुगर के रोग की दवा )काली हल्दी, सतावर, अश्वगंधा, सर्पगंधा, नीम, हरड, आंवला, दशमूल सहित ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं जिनका की विभिन्न रोगों में इलाज के रूप में प्रयोग किया जाता है कहा कि जल्द ही क्षेत्र के सभी स्कूल के छात्र छात्राओं को यहां बुलाया जाएगा जिससे कि वह पर्यावरण संरक्षण पेड़ पौधों का संवर्धन और हमारे धार्मिक भावनाओं सहित देश के महान विभूतियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। पर्यावरण पर अनुसंधान करने वालों को भी यहां आमंत्रित किया जाएगा, उनके लिए यह बहुत ही उपयुक्त स्थान है।

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